भक्ति काल के निर्गुण धारा के महान संत श्री पीपानन्द जी जो कि रामानंद जी के प्रमुख 12 शिष्यों में से एक रहे और दोहे, पदावली के माध्यम से जनमानस तक परम तत्व का दर्शन पँहुचाते रहे- 👇
राजमहल के सुख ठुकरा कर, भक्ति-भाव में रत हो जाना
बिसरा कर जगती की माया, परमतत्व अवगत हो जाना
“पी” कर ज्ञानमयी नवधा जो, “पा” गए निर्गुण ब्रह्म यहाँ
बहुत कठिन है इस धरती पर, पीपानंद भगत हो जाना
![Saint Pipa Darshan by Aayushi Rakhecha](http://aayushirakhecha.com/wp-content/uploads/2020/04/92445076_259736838758496_5851133255574618112_n.jpg)
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