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पिता पर कुछ पंक्तिया
चला सकती हूं बाइक बैठ सकती हूं चाय की थड़ी पर लगा लेती हूं उन्मुक्त ठहाका चुन सकती हूं अपना जीवनसाथी खुद ऋणी हूं मैं तुम्हारी, पिता उस हर “हाँ” के लिए जिसे समाज ने घोषित किया “निषेध” और अब “लड़के” होना चाहते हैं मेरी तरह ! ~आयुषी राखेचा Like Share Subscribe https://www.facebook.com/AayushiRakhechaOfficial https://www.instagram.com/AayushiRakhechaOfficial
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शहर की होड़ फैशन की दुहाई
वो शहर की होड़ फैशन की दुहाई हो गएसोचते हैं सिरफिरे हाई – फाई हो गएबालकोनी में पड़े है, फ्लैट की देखो ज़रापेड़ गमलों में सिमटकर बोनसाई हो गए💕🌳 – Aayushi Rakhecha Like /Share/Subscribe Aayushi Rakhecha on Facebook and