माखन राम नाम का मथ लो, सुख शोभा उर पाई
मानस ग्रंथ महा सुखदाई !
गावे तुलसी राम नाम जस, हर घर अवध कहानी
पुलकित प्रेम पीयूष पिये है शिव की जगत भवानी
मन के द्वार पुष्प झरी जाई
मानस ग्रंथ महा सुखदाई ।
सकल मनोरथ सिद्ध भये जे हिय में राम बसाए
दुःख दारुन कौतुक सो देखे, मनवा मोद मनाए
सुमिरत रघुवर मुनि-मन गाई
मानस ग्रंथ महा सुखदाई ।
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