घूम बराबर – घटोत्कच सर्किल, कोटा , राजस्थान

घूम बराबर –1

घूम बराबर की इस पहली कड़ी में हम जा रहे हैं कोटा शहर के विशेष चौराहे पर जिसका नाम है श्री गणेश शंकर विद्यार्थी सर्किल या चर्चित नाम है “घटोत्कच सर्किल” । कोटा यानी राजस्थान का कानपुर.. बीहड़ के जंगलों में घुमावदार कटाव बनाती हुई चंबल यहां की बारहमासी नदी जो इसे विशेष औद्योगिक केंद्र बनाती है । तो.. क्या खास है इस सर्किल में !? महाभारत के चौदहवें दिन की रात्रि में कर्ण और घटोत्कच के बीच हुए युद्ध का अद्भुत चित्रण है इस चौराहे पर, बाहुबली २ में भी इस सीन को फिल्माया गया है ।

कहानी कुछ यूं है कि रात्रि के इस युद्ध में घटोत्कच का विशालकाय रूप कौरवों की सेना में विध्वंस मचा रहा था, कहीं आग, कहीं तीर, कहीं पाषाण…सैकड़ों सैनिक अनवरत हताहत होते हुए ! शिवर के शिविर ध्वस्त करता घटोत्कच का युद्ध कौशल कौरवों में त्राहि त्राहि मचा रहा था । दुर्योधन ने कर्ण से विनती की और कर्ण को इंद्र द्वारा प्रद्दत “दिव्य शक्ति बाण” का स्मरण कराया, कर्ण उस दिव्य शक्ति का प्रयोग मात्र एक ही बार कर सकता था और निस्संदेह वो उसे अर्जुन के लिए प्रयोग करना चाहता था । घटोत्कच को रोक पाना साधारण सिद्धियों से लगभग असम्भव हो रहा था, युद्ध कौरवों के पक्ष में कमज़ोर पड़ रहा था । हजारों मिटती हुई टुकड़ियां देखते ही देखते मैदान से युद्ध को एक पक्षीय कर रहीं थी..किसी एक क्षण में पवन के वेग सा घटोत्कच कर्ण के जैत्ररथ पर उतरा, उतरा तो रथ उछला, उछला तो घोड़े हिनहिनाते हुए बिगड़े और घटोत्कच का भाला कर्ण की ओर बढ़ने ही वाला था कि ऐसी स्थिति में कोई और उपाय न पाकर कर्ण ने अपने धनुष की प्रत्यंचा को दिव्य बाण के मंत्रोचार का पूरी शक्ति के साथ घोष कर तत्क्षण छोड़ दिया ! आकाश में गर्जन हुआ, बिजली कड़की, पांडवों में हड़कंप मच गया… घटोत्कच कुछ समझ पाता इससे पहले इंद्र का वो अमोघ अस्त्र घटोत्कच के प्राण ले चुका था । भीम हिडिंबा के वीर पुत्र घटोत्कच का विकराल तांडव अचानक थम गया । प्राण पखेरू उड़ गए । शरीर जहां गिरा कई सैनिक नीचे दब कर मर गए ।

श्री कृष्ण मुस्कुरा रहे थे, अश्वों की रास रोककर अर्जुन को सीने से लगाकर मग्न होकर नाचने लगे । शोक की इस लहर में पांडव उद्विग्न हो उठे ।  अगले दिन का सूरज उदय हो रहा था..लेकिन कौरवों का सूर्य युद्ध में अस्त होना तय कर गया था  घटोत्कच का प्राणदान…लेकिन साथ में यह भी सत्य है की समरांगण में कुंडल कवच से सुशोभित नरश्रेष्ठ कर्ण ने जब स्वयं के शरीर से कुतरकर इन चीजों को दान दे दिया, इस स्थिति में भी कर्ण किसी और योद्धा से मारा नहीं जा सकता था (अर्जुन के सिवा)

पाषाण में प्राण डालते व्यस्ततम चौराहे की फोटो लेना बड़ा मुश्किल था ।  यह पिछले दिनों इस लिए भी चर्चा में था क्यूंकि “बाहुबली 2” मूवी के एक सीन में हुबहू इस सीन को फिल्माया गया है ।

आयुषि राखेचा


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साभार इंटरनेट