चला सकती हूं बाइक बैठ सकती हूं चाय की थड़ी पर लगा लेती हूं उन्मुक्त ठहाका चुन सकती हूं अपना जीवनसाथी खुद ऋणी हूं मैं तुम्हारी, पिता उस हर "हाँ" के लिए जिसे समाज ने घोषित किया "निषेध" और अब "लड़के" होना चाहते हैं मेरी तरह ! ~आयुषी राखेचा Like Share Subscribe https://www.facebook.com/AayushiRakhechaOfficial https://www.instagram.com/AayushiRakhechaOfficial