प्रेमचंद जी के 15 Quotes आप सभी सुधि पाठकों के लिए जयंती पर विशेष –

Shri Prem chand's 15 quotes
Aayushi Rakhecha shares Shri Prem chand’s 15 quotes

1. आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपना घर याद आता है।

2. जिन वृक्षों की जड़ें गहरी होती हैं, उन्हें बार-बार सींचने की जरूरत नहीं होती।

3. मन एक भीरू शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है ।

4. अपनी भूल अपने ही हाथों से सुधर जाए तो यह उससे कहीं अच्छा है कि कोई दूसरा उसे सुधारे।

5. विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई भी विद्यालय आज तक नहीं हुआ।

6. अनाथों का क्रोध पटाखे की आवाज़ है, जिससे बच्चे डर जाते हैं और असर कुछ नहीं होता।

7. अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है ।

8. दुखियारों को हमदर्दी के आँसू भी कम प्यारे नहीं होते।

9. विजयी व्यक्ति स्वभाव से, बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।

10. न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं। इन्हें वह जैसे चाहती हैं, नचाती हैं।

11. जीवन की दुर्घटनाओं में अक्‍सर बड़े महत्‍व के नैतिक पहलू छिपे हुए होते हैं!

12. किसी किश्ती पर अगर फर्ज का मल्लाह न हो तो फिर उसके लिए दरिया में डूब जाने के सिवाय और कोई चारा नहीं|

13. डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है ।

14.बुद्धि अगर स्वार्थ से मुक्त हो, तो हमे उसकी प्रभुता मानने में कोई आपत्ति नहीं।

15.जो कुछ अपने से नहीं बन पड़ा, उसी के दुःख का नाम तो मोह है